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1.0 पृष्ठभूमि |
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1.1 विभिन्न देशों में अकाउंटिंग फ्रेमवर्क का विकास देशी तौर पर उपजे कारकों पर आधारित है और इससे लेखाकरण प्रक्रियाओं में रोचक और महत्वपूर्ण अंतर को बढ़ावा मिलता है। जैसे आर्थिक बदलाव, नए आर्थिक विकास के मॉडल, वित्तीय विवरणों में उपयोगकर्ता की संभावनाओं में परिवर्तन, निवेशक के विश्वासको बने रखने की आवश्यकता, मूल्यह्रास, विधिक आवश्यकताएं आदि में एक से दूसरे दशक में पर्याप्त बदलाव और सुधार होते हैं, ऐसा ही अकाउंटिंग फ्रेमवर्क और मानकों में भी होता है। लेखाकरण मानकों की गुणवत्ता में सुधार के लिए निरंतर प्रयासों से अनिश्चितता कम होगी, कुल कार्य दक्षता बढ़ेगी, निवेशक के विश्वास का उच्च स्तर बना रेहगा और संगठन की बहुत अच्छी वित्तीय शक्ति प्रदर्शित होगी। लेखा परिणामों के अलावा लेखाकरण मानकों से स्ट्रक्चर और प्रक्रियाओं से बिजनेस परिणामों पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। भारतीय रेलवे अपनाई गई लेखाकरण प्रणाली गतिविधियों के मद्देनज़र परिचालनिक लागतों का एक पर्याप्त रूप से विस्तृत विवरण प्राप्त करता है। किंतु बढ़ते बिजनेस के लिए कुछ बदलाव उसी तरह अपेक्षित होने आवश्यक हैं जैसा कि लेखाकरण सूचना कैप्चर की गई, उसकी ग्रुपिंग की गई और अभी तक उसका रखरखाव किया गया है।
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2.0 असाइनमेंट का उद्देश्य |
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2.1 विभिन्न चरणों में इस असाइनमेंट का उद्देश्य रेल मंत्रालय (MOR) को एक विस्तृत और सही तरीके से तौयार सिफारिशें सौंपना, जिससे विद्यमान अकाउंटिंग सिस्टम को इस तरह पुनर्गठित किया जा सके ताकि: |
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ए) सरकार की वर्तमान रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को सपोर्ट दी जा सके और सरकार के अकाउंटिंग स्टेंडर्ड एडवाइजरी बोर्ड (GASAB) द्वारा भविष्य में तय के जाने वाले लेखाकरण मानकों को पूरा किया जा सके।
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बी) गतिविधि आधारित राजस्व और कॉस्ट डेटा की व्यवस्था की जा सके जिससे सिस्टम की पहचान करने, उसके अनुरक्षण और परिचालनिक अक्षमताओं को दूर करने, राजस्व और कॉस्ट इनपुट का विवरण तैयार करने की सुविधा होगी ताकि निम्नलिखित का आकलन किया जा सके :
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i) विभिन्न आपरेशनों का लाभ
ii) विभिन्न मार्गों/सेक्शनों का लाभ।
iii) किराया नियमन में परिवर्तन के लिए मार्जिन |
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सी) उच्चतम गुणवत्ता वाले वित्तीय विवरण तैयार करने और रेल उद्योग कि लिए अंतर्राष्ट्रीय तौर पर अपनाई गई सभी कामर्शियल अकाउंटिंग आवश्यकताओं और साथ ही GASAB द्वारा निर्धारित लेखाकरण मानकों को पूरा करने के लिए सक्षम बनाया जा सके,
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डी) रेल मंत्रालयों को लागतों और विभिन्न प्वाइंटों के बीच प्रत्येक यातायात संचलन से लाभ और इसके अतिरिक्त विभिन्न लाइनों के लिए वित्तीय विवरणों के विकास के मूल्यांकन की क्षमता प्रदान की जा सके।
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ई) बिजनेस की मेन लाइनों द्वारा और इन लाइनों के बीच मुख्य सेवाओं के ब्रेकडाउन की सुविधा। अंततः इससे प्रत्येक बिजनेस को एक अलग प्रोफिट सेंटर के साथ-साथ बिजनेस के प्रत्येक सेगमेंट में एक रेलगाड़ी के स्तर तक एक अलग प्रोफिट सेंटर के रूप में संगठित करने में मदद मिल सके। |
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एफ) रेल सेवा प्रदाताओं के पांच प्रमुख सेगमेंट- फिक्स्ड रेल इंफ्रास्ट्रक्चर, यात्री संचलन, माल संचलन, उपनगरीय संचलन और एक अलग बिजनेस सेगमेंट के रूप में उपनगरीय रेल प्रणाली तथा अन्य नॉन-कोर सेवाओं को एक पूर्ण अलग लेखाकरण सुविधा प्रदान की जा सके। प्रत्येक नॉन-कोर गतिविधि सहित निर्माण यूनिटों का लेखाकरण अलग-अलग होगा ताकि लागत और लाभ केंद्रों के विकास की सुविधा दी जा सके।
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जी) घाटे वाली सेवाओं और गतिविधियों तथा साथ ही निर्णय लेने में प्रबंधन की सहायता के लिए कारणों का उल्लेख करते हुए ध्वनि विश्लेषण की सुविधा भी दी जा सके।
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एच) संयुक्त लागतों और इनके आबंटन की पहचान के लिए बेहतर आधार देखा जाता है, विशेषकर कॉस्ट ऑफ शेयरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे रेलपथ, ओएचई सिस्टम, सिगनल/टेलीकॉम, स्टेशन, यार्ड और टर्मिनल आदि शामिल होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य सिद्धांतों/एलोकेशनों, जिनकी विश्व की प्रमुख रेल प्रणालियों पर अनुपालन किया जाता है, के आधार पर , कॉस्ट शेयरिंग प्रोटोकॉल का मॉडल शामिल किया जाता है। इसे कुछ सामान्य परिसंपत्तियों के स्वतंत्र प्रोफिट सेंटरों अर्थात् बड़ेयात्री और मालभाड़ी टर्मिनलों के रूप में भी पहचाना जाता है।
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आई) विपणन उद्देश्यों के उपयोग के लिए विशिष्ट लागत जानकारी देने की व्यवस्था की जा सके। |
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जे) पूर्णतः आबंटित लागतों और मार्जिनल लागतों दोनों के एक अधिक विश्वसनीय प्राक्कलन की सुविधा। |
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के) मुंबई उपनगरीय रेलवे की परिचालनिक और अनुरक्षण लागतों के लिए एक कारगर तरीका अपनाया जा सके, जो मुंबई उपनगरीय रेलवे लेखा को पश्चिम रेलवे और मध्य रेलवे के लेखा से अलग करेगा।
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एल) अन्य देशों में विभिन्न तुलनात्मक रेलों के अनुभव और अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के आधार पर मुंबई उपनगरीय रेलवे प्रणाली को सब्सिडी दिए जाने के मुद्दे की आवश्यकता का भी अध्ययन किया जाना चाहिए।
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2.2 विद्यमान अकाउंटिंग सिस्टम स्ट्रक्चर गतिविधि आधारित मांगों, माइनर हैड्स, सब-हैड और डिटेल्ड हैड्स के साथ गहन विस्तृत लेखा वर्गीकरणों के अनुसार रेलवे के व्यय को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त है; यह, इस समय, रेल सेवाओं की बिजनेस सेगमेंट आधारित कॉस्टिंग के लिए आवश्यक इनपुट की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है, जिससे प्रणाली की पहचान, अनुरक्षण और परिचालनिक अक्षमताओं की पहचान करने की क्षमता का पता लग सके। इस तरह लेखा को अलग करने का उद्देश्य प्रत्येक सेगमेंट द्वारा स्वतंत्र रूप से डायनेमिज्म जेनरेट करने को बढ़ावा देने के साथ ही साथ एक संघटन के रूप में भारतीय रेलवे के लाभार्थ इंटर-सेगमेंट प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया को बल देना भी है। |
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3.0 विकल्प और मानदण्ड |
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नए अकाउंटिंग आर्किटेक्चर की डिजाइनिंग के लिए परामर्शदाता मापदण्डों को परिभाषित करेगा, जिसमें यह भी ध्यान रखा जाएगा कि भारतीय रेलवे के वर्मान वर्टिकली इंटीग्रेटिड स्ट्रक्चर को कोई हानि न हो।
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ए) इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए पूर्णतया अकाउंटिंग सेपरेशन, रेल संचलन और चल स्टॉक के साथ-साथ कलपुर्जों के निर्माण और विभिन्न तरह के बिजनेस में लगी उत्पादन इकाईयों के लिए रेल मंत्रालय के उद्देश्यों की पूर्ति में विकल्पों की प्रभाविता को सुनिश्चित करना।
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बी) सिस्टम की अक्षमताओं और अनुरक्षण तथा परिचालनिक अक्षमताओं की पहचान और उन्हें समाप्त करने के लिए गतिविधि आधारित अकाउंटिंग और कॉस्टिंग।
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सी) रेल उद्योग और केंद्रीय वित्त और साथ ही लेखाकरण आवश्यकताओं और परिणामों पर पूरा प्रभाव। |
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डी) उपभोक्ता के लाभ और एंड यूज़र कॉस्ट। |
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ई) प्रस्तावित लेखाकरण परिवर्तनों के कारण रेगुलेटरी, लीगलस इंस्टीट्यूशनलस स्ट्रक्चरल और कोई अन्य वित्तीय तथा तकनीकी मामले। |
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एफ) चल रही स्थानीय परिस्थितियां, विद्यमान अकाउंटिंग कामर्शियल प्रक्रियाएं और देश की विशिष्ट आवश्यकताएं। |
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जी) इंफ्रास्ट्रक्चर, नेटवर्क के प्रबंधन, चल स्टॉक की तैनाती, रेल परिचालनों और उपकरणों तथा चल स्टॉक के अच्छे उत्पादन कार्यों से भारतीय रेल की व्यवहार्यता का आकलन। |
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4.0 कार्य की संभावना और परामर्शदाताओं से संभावित आउटपुट |
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परामर्शदाता से उम्मीद की जाती है कि वह सामान्यतया निम्न क्रम में, कभी-कभी समान रूप से निम्नलिखित मुख्य कार्य करेगा :
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(ए) आय और व्यय के विद्यमान अकाउंटिंग सिस्टम का विवेचनात्मक विश्लेषण और आरंभिक बिंदु से उसकी शुरुआत, ग्रुपिंग में आवश्यक संशोधनों का सुझाव और उस लेखा और लागत पर आने के लिए लेन-देन का रिफलेक्शन जिससे रेलवे के लेखा का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रेल उद्योग में स्वीकार्य लेखाकरण मानकों और निवेशक की आवश्यकताओं के साथ मेल रखते हुए मिलान किया जा सके। साथ ही, रेल मंत्रालय को लेखा रिस्ट्रक्चरिंग कार्यक्रमों के लाभों और पूरे प्रभावों से अवगत भी कराया जा सके और यह सलाह अन्य बातों के साथ-साथ परामर्शदाता के अनुसंधान और निष्कर्षों पर आधारित होगी, जो रेल क्षेत्र के लेखाकरण, लागत और वित्तीय प्रंबधन के अध्ययन और परिणामी प्रक्रियाओं के फलस्वरूप सामने आएगी, यह जानकारी विश्व में अन्य स्थानों पर भारतीय रेलवे के संदर्भ में हुए सुधारों के संदर्भ में होगी। केवल उन देशों के संदर्भ में अध्ययन किया जाएगा जिनकी भारतीय रेलवे से बहुत अधिक समानता होगी। कुल मिलाकर भारतीय रेलवे लेखा प्रणाली की समीक्षा में निम्नलिखित उप-लेखा प्रणालियां शामिल होंगी :
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भारतीय रेलवे के वित्तीय विवरण - मूल वित्तीय सत्यापन - लेखाकरण प्रक्रियाएं - लेखा परीक्षा टिप्पणियों की समीक्षा - लेखा और बजट कार्य निष्पादन में भारतीय रेलवे की कॉरपोरेट जटिलता से संशय को समाप्त करना - जटिलताओं के सिद्धांत - |
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भारतीय रेलवे की अकाउंटिंग ट्रांजेक्शनल प्रोसेसिंग |
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भारतीय रेलवे की राजस्व अकाउंटिंग सिस्टम - यातायात लेखा |
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प्रोजेक्ट/कंस्ट्रक्शन अकाउंटिंग ट्रांजेक्शनल प्रोसेस की समीक्षा |
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भंडार लेखाकरण (सामग्री प्रबंधन मॉड्यूल) |
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उत्पादन इकाईयों/कारखानों की लेखाकरण प्रणालियां |
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भारतीय रेलवे के लेखा/वित्तीय कोड - कोड्स के माध्यम से लेखा प्रणाली का पालन |
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भारतीय रेलवे की लेखा नीतियां और मानक। |
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(बी) कुछ क्षेत्रीय रेलों पर चल रही ऑन-लाइन वित्त प्रबंधन सूचना प्रणाली (FMIS) की विद्यमान क्षमताओं का आकलन। वित्त प्रबंधन सूचना प्रणाली भारतीय रेलवे की एक कंप्यूटरीकृत प्रणाली है, जो एक ऑन-लाइन लेखा प्रणाली है, इसमें नौ विद्यमान क्षेत्रीय रेलों में से छह रेलों के क्षेत्रीय मुख्यालय और एक या दो मंडल कवर किए गए हैं। तीन अन्य क्षेत्रीय रेलों पर इसका क्रियान्वयन आरंभिक चरण में है। परामर्शदाता को विद्यमान सिस्टम के अध्ययन की आवश्यकता होगी ताकि विद्यमान ऑन-लाइन अकाउंटिंग सिस्टम की उपयुक्तता और इसकी शक्तियों तथा कमजोरियों, क्षमताओं/भिन्नताओं का आकलन किया जा सके, जिससे अपनाए जाने के लिए परामर्शदाता द्वारा प्रस्तावित अकाउंटिंग स्ट्रक्चर में बदलाव लाने के लिए अडाप्टेशन/मॉडिफिकेशन संबंधी कार्य किया जा सके।
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(सी) एक स्वीकार्य अकाउंटिंग आर्किटेक्चर/मॉडल के गठन के साथ लेखा का विस्तृत चार्ट तैयार करना जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रेल उद्योग में स्वीकार्य लेखाकरण मानकों के अनुरूप भारतीय रेलवे के वित्तीय विवरण तैयार हो सकेंगे और उन वित्तीय विवरणों को भी पुनः इनेबल किया जा सकेगा, जो सरकारी रिपोर्टिंग के लिय़ए आवश्यक होते हैं। कार्यों का विस्तार से वर्णन इस प्रकार है :
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कार्य 1: LOB/LOS और प्रोफिट सेंटर कांसेप्ट को एकोमोडेट करने के लिए कामर्शियल सिस्टम आर्किटेक्चर की रिडेफिनेशन
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कहीं भी संतोषजनक तरीके से काम कर रहे विभिन्न पात्र और उचित कामर्शियल मॉडलों की समीक्षा। |
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भारतीय रेलवे के LOB/LOSअकाउंटिंग सिस्टम आधारित एक आदर्श प्रोफिट सेंटर की खोज। |
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LOB/LOS के बीच अकाउंटिंग सेपरेशन और उपनगरीय तथा गैर-उपनगरीय प्रणालियों के बीच भी सिद्धांतों का विवरण। |
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भारतीय रेल प्रणाली के लिए स्वीकार्य और LOB/LOS तथा भारतीय रेलवे के लिए अपेक्षित प्रोफिट सेंटर आधारित सेपरेशन के साथ अवधारणात्मक डिजाइनिंग और उपयुक्त रि-इंजीनयरी मॉडल को सामने लाना।
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कार्य 2: अकाउंटिंग आर्किटेक्चर डिजाइन |
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उपर्युक्त के आधार पर, एक सक्षम अकाउंटिंग आर्किटेक्चर के विकास के साथ भारतीय रेलवे के विद्यमान अकाउंटिंग वर्गीकरण में, जहां तक संभव हो उसे समान बने रखा जाए, यद्यपि उसका विस्तार और वर्गीकरणों की रि-ग्रुपिंग की अनुमति होगी। अन्य अपेक्षाएं इस प्रकार होंगी : |
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क. कामर्शियल अकाउंटिंग प्रक्रियाओं के साथ तालमेल, जैसा सरकारी नियंत्रण वाली रेल प्रणाली के लिए अपेक्षित है। |
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ख. रेल बजट प्रस्तुतिकरण प्रारूप की समनुरूपता में मूलभूत ढांचे को छेड़े बिना सुधार की आवश्यकता को प्रोत्साहित करना। |
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ग. नियंत्रण एवं महा लेखा परीक्षक (CGA’s) की सरकारी लेखाकरण आपेक्षाओं की समनुरूपता में सुधार की आवश्यकता को प्रोत्साहित करना। |
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कार्य 3: उपनगरीय और गैर-उपनगरीय कामर्शियल तथा अकाउंटिंग प्रणालियों को अलग करना- उपनगरीय अकाउंटिंग मॉडल |
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मुंबई रेल विकास निगम (MRVC) पर विशिष्ट सिफारिशें और एसपीवी सहित अन्य मेट्रो के लिए मॉडल। |
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कार्य 4: भारतीय रेलवे के कॉस्टिंग मॉड्यूलों की डिजाइनिंग |
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विद्यमान कॉस्टिंग सिस्टम की समीक्षा |
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एक सक्षम कॉस्टिंग मॉडल की डिजाइनिंग |
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नए कॉस्टिंग मॉडल को अकाउंटिंग स्ट्रक्चर में रि-अलाइन करना |
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मुंबईउपनगरीय रेल सिस्टम के लिए एक कॉस्टिंग मॉडल। |
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कार्य 5: भारतीय रेलवे की यात्री सेवा उत्पादों, मालभाड़ा सेवा उत्पादों और इंफ्रास्ट्रक्चर सेवाओं के लिए- डिजाइनिंग गतिविधि आधारित प्राइसिंग मॉडल |
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यात्री सेवाएं - गतिविधि-आधारित प्राइसिंग मॉडल। |
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यात्रियों संबंधी ऑन-बोर्ड और ऑफ-बोर्ड सेवाओं के लिए प्राइसिंग। |
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मालभाड़ा सेवाओं, पार्सल सेवाओं, विशेष स्टॉक सेवाओं, कंटेनर सेवाओं आदि के लिए गतिविधि-आधारित प्राइसिंग मॉडल । |
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उत्पादन इकाईयां - निर्मित मदों और सेवाओं के लिए गतिविधि-आधारित प्राइसिंग मॉडल। |
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फिक्स्ड इंफ्रास्ट्रक्चर (रेलपथ, ओएचई वितरण सिस्टम सहित, सिगनलिंग और दूरसंचार) के लिए गतिविधि-आधारित प्राइसिंग मॉडल।
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मूविंग इंफ्रास्ट्रक्चर सेवाओं सहित रेलवे को पट्टे पर दिए गए चल स्टॉक के लिए गतिविधि-आधारित प्राइसिंग।
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प्राइसिंग के लिए गतिविधि-आधारित विस्तृत वर्कशीट तैयार करना (तथापि रेल मंत्रालय किराया नियामक प्राधिकरण, वर्कशीट, प्राइसिंग फार्मूला/तरीका और डेरिवेटिव किसी भी स्वतंत्र प्राधिकारी द्वारा लीगल/ज्यूडिशियल जांच किए जाने के लिए तैयार रहने चाहिए)।
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कॉस्ट सेंटर आधारित सेवाओं जैसे, रेलवे चिकित्सा सेवाएं, अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (RDSO) आदि के लिए प्राइसिंग।
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कार्य 6: अकाउंटिंग सिस्टम में ऑडिट ट्रायल्स की डिजाइनिंग - अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर और ऑडिटबोट्स के विकास में ऑडिट ट्रायल्स की एम्बेडिंग। |
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(डी) विद्यमान सिस्टम और मॉडल सिस्टम के बीच क्षमताओं और अक्षमताओं की पहचान के लिए चैकलिस्ट और कॉन्कोर्डेंस लिस्ट तैयार करना। वर्तमान मैनुअल राजस्व अकाउंटिंग (इनकम अकाउंटिंग) की दक्षता और आई.टी.एप्लीकेशन पर सिफारिशों की समीक्षा की जानी चाहिए ताकि दक्षता में वृद्धि की जा सके और लेखाकरण प्रक्रियाओं में स्वीकार्य बदलाव किए जा सकें। |
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कार्य 1: विद्यमान अकाउंटिंग और कॉस्टिंग सिस्टम तथास्वीकार किए गए नए अकाउंटिंग आर्किटेक्चर के संबंध में प्रस्तावित बदलावों की सीमा का निर्धारण |
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कार्य 2: सिस्टम लेखाकरण बदलावों के क्रियान्वयन के लिए सिस्टम की तैयारी संबंधी प्राक्कलन - आकलन |
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क. गैप्स की पहचान |
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ख. भारतीय रेलवे क्या कर सकती है और क्या नहीं, तत्संबंधी रिपोर्ट |
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(ई) भारतीय रेलवे के 6 प्रमुख लेखा अधिकारियों का अन्य रेलों की प्रस्तावित अकाउंटिंग और कॉस्टिंग प्रणालियों के समान प्रशिक्षण और विकास। |
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(एफ) रेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्वीकृत गतिविधि के एक भाग के रूप में विकसित संशोधित अकाउंटिंग आर्किटेक्चर मॉडल के सॉफ्टवेयर संबंधी विकास और क्रियान्वयन की मॉनीटरिंग, सुपरविज़न और कमीशनिंग। |
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(जी) संशोधित अकाउंटिंग सिस्टम में ऑडिट ट्रायल्स का क्रियान्वयन और ऑडिटबोट्स का विकास। |
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(एच) संशोधित प्रणाली के लिए कोड, मैनुअल और सिस्टम डिजाइन, दिशानिर्देश पुस्तिकाओं, सॉफ्टवेयर का संशोधन और पुनर्लेखन - आपरेटिंग प्रक्रिया आदि। स्टेटकाउंटर - फ्री वेब ट्रेकर और काउंटर। |