अध्याय - I: नीति
प्रस्तावना:
1.1 जनता और मूलभूत ढांचा परियोजनाओं के तहत हटाए गए लोगों, उन्हें अपना घर, संपत्ति और जीवन-यापन के साधन छोड़ देने का दबाव बनाने के लिए भूमि का अनिवार्य अधिग्रहण। लोगों को ज़मीन से निर्वासित करने, उनके रोजगार, साधनों के आधारों को हटाने के अलावा इससे अन्य मानसिक आघात और सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव भी पड़ते हैं। भारत सरकार बड़े पैमाने पर लोगों को निर्वासित किए जाने की काफी हद तक न्यूनतम की आवश्यकता पर बल देती है और, जहां कहीं निर्वासन अपरिहार्य हो, परियोजना प्रभावित परिवारों के रिसैटलमेंट और रिहेबिलिटेशन संबंधी मामलों बहुत सावधानी और दूरदर्शिता से संभाले जाने की आवश्यकता है। आदिवासियों, छोटे और मंझोले किसानों और महिलाओं के संबंध में भी विशेषकर ऐसी सोच रखने की आवश्यकता है।
1.2 अधिकांश मामलों में, नगद क्षतिपूर्ति जैसी व्यवस्था से प्रभावित परिवार उपजाऊ कृषि भूमि, मकान और अन्य संसाधन खरीद नहीं पाते, जैसा उन्होंने सरकार को सौंप दिया होता है। उन व्यक्तियों के लिए समस्या और गंभीर हो जाती है, जो अपनी रोजी-रोटी/जीवन-यापन के लिए अपने प्राप्त संसाधनों पर आश्रित होते हैं, ऐसे भूमिहीन कृषि मजदूरों, गड़रियों, किरायेदारों और शिल्पकार, जो संताप में रहते हैं और उनका मूल ठिकाना आदि भी दूर होता है, तो भी नगद क्षतिपूर्ति पाने के हकदार नहीं हो पाते।
1.3 कुछ राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों ने रिसैटलमेंट और रिहेबिलिटेशन के लिए अपनी नीतियां और दिशानिर्देश तय किए हुए हैं। तथापि, परियोजना प्रभावित परिवारों (PAFs) के रिसैटलमेंट और रिहेबिलिटेशन के लिए अभी तक कोई राष्ट्रीय स्तर पर नीति नहीं बनाई गई है। इस दस्तावेज का उद्देश्य नीति के रूप में मूलभूत नियम और पैकेज इस रूप में तय करना है जो परियोजना प्रभावित परिवारों - 2003 (NPRR-2003) के रिसैटलमेंट और रिहेबिलिटेशन पर राष्ट्रीय नीति के रूप में संदर्भित किया जाएगा।
1.4 Theयह नीति आवश्यक रूप से संपत्ति विहीन गरीब ग्रामीणों, निर्वासित किए गए गरीब वर्गों, मुख्यतः छोटे और मंझोले किसानों, अनु.जा./अ.ज.जा. और महिलाओं को सहायता प्रदान करने में आवश्यक मदद देती है। इसके अलावा, यह रिसैटलमेंट और रिहेबिलिटेशन परियोजना प्रभावित परिवारों और प्रशासन के बीच प्रभावी बातचीत का एक बड़ा दायरा तैयार करती है। ऐसी बातचीत से परियोजनाओं के उनकी लागत के संदर्भ में सही समय पर पूरा होने और निर्वासित व्यक्तियों, विशेषकर गरीब वर्गों की जरूरतों पर पूरा ध्यान देने में मदद मिलेगी। इसका उद्देश्य समन्वय और बातचीत के लिए बेहतर लोचशीलता लाना है ताकि प्रस्तावित पैकेज हर तरफ एक कारगर तंत्र के रूप में स्वीकार्य हो सके, जिससे सभी स्टेकहोल्डर्स/रिक्वायरिंग बॉडिज़ को संतुष्टि मिल सके।
1.5 The on the of परियोजना प्रभावित परिवारों के लिए रिसैटलमेंट और रिहेबिलिटेशन पर राष्ट्रीय नीति व्यापक दिशानिर्देशों और सर्वसंबंधितों के लिए कार्यकारी निदेशों के रूप में होगी और मैदानी क्षेत्रों में 500 या उससे अधिक परिवारों और पहाड़ी क्षेत्रो में 250 परिवारों को निर्वासित करने वाली, डेजर्ट डेवलपमेंट प्रोग्राम ब्लॉकों, भारत के संविधान में उल्लिखित शेड्यूल V और VI में उल्लिखित परियोजनाओं पर लागू होगी। उम्मीद की जाती है कि रिसैटलमेंट और रिहेबिलिटेशन के लिए सरकार और एडमिनिस्ट्रेटर समुचित रूप से इस नीति को इस रूप में लागू करेंगे कि इस नीति के अंतर्गत निर्धारित लाभ परियोजना प्रभावित परिवारों, विशेषकर गरीब वर्गों सहित अनु.जा./अ.ज.जा. को प्राप्त हों।
1.6 नीति में प्रस्तावित रिहेबिलिटेशन अनुदान और अन्य मौद्रिक लाभ न्यूनतम होंगे और सभी परियोजना प्रभावित परिवारों पर लागू होंगे, चाहे वह गरीबी रेखा से नीचे के परिवार हों या नहीं। जिन राज्यों में रिसैटलमेंट और रिहेबिलिटेशन पैकेज नीति में प्रस्तावित संख्या से अधिक हैं, वे अपने पैकेज अपनाने के लिए स्वतंत्र हैं।
अध्याय – II
2. नीति के उद्देश्य
2.1 नीति के उद्देश्य इस प्रकार हैं :‑
क) डिसप्लेसमेंट का न्यूनतम करने और नॉन- डिसप्लेसिंग अथवा लीस्ट-डिसप्लेसिंग विकल्पों की पहचान करना;
ख) परियोजना प्रभावित परिवारों के रिसैटलमेंट और रिहेबिलिटेशन सहित आदिवासियों और ध्यान देने योग्य वर्गों की विशेष आवश्यकताओं की योजना बनाना;
c) परियोजना प्रभावित परिवारों के लिए बेहतर आवास व्यवस्थाएं; और
d) परियोजना प्रभावित परिवारों और अपेक्षित निकायों के बीच आपसी सहयोग से सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित करने की सुविधा देना।
अध्याय - III
3. परिभाषाएं
3.1 इस नीति संबंधी दस्तावेज में प्रयुक्त विभिन्न शब्दावली इस प्रकार है:
(ए) “रिसैटलमेंट और रिहेबिलिटेशन” के लिए एडमिनिस्ट्रेटर से अभिप्राय उस अधिकारी से है, जो राज्य सरकार द्वारा संबंधित परियोजना के लिए परियोजना प्रभावित परिवारों के रिसैटलमेंट और रिहेबिलिटेशन के लिए नियुक्त जिलाधीश से कम स्तर का न हो, बशर्ते यदि परियोजना के संबंध में वह सरकार, केंद्र सरकार हो, ऐसी नियुक्ति केंद्र सरकार के परामर्श से की जाएगी।
(बी) परियोजना से संबंधित “प्रभावित जोन” से अभिप्राय इस नीति के पैरा 5.1 के अंतर्गत परियोजना के किसी गांव या स्थान पर सरकारी भूमि से है, जिसके लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 के अथवा किसी अन्य लागू अधिनियम के तहत भूमि ली जा रही हो, जो परियोजना के वाटर-रिजर्वायर के रूप में भूमि में शामिल हो जाती हो;
(सी) “कृषक परिवार” से अभिप्राय उस परिवार से है, जिसके जीवन-यापन का प्राथमिक माध्यम कृषि है, इसमें खेती-योग्य भूमि के मालिकों, कृषि श्रमिकों, वन क्षेत्रधारक और छोटी वन उपजों को एकत्र करने वालों के साथ-साथ उप-किरायेदार भी शामिल होते हैं;
(डी) “कृषि श्रमिक” से अभिप्राय उस व्यक्ति से है, जो प्रभावित जोन घोषित होने के बाद से वहां कम से कम तीन वर्षों से रह रहा हो, उसके पास प्रभावित जोन में कोई भूमि न हो किंतु जो घोषणा से पहले वहां अपने श्रम से कृषि भूमि पर मुख्य रूप से अपना जीवन-यापन करता हो और घोषणा के बाद उसे अपना रोजगार खोना पड़ गया हो;
(ई) “कृषि भूमि” में वह भूमि आती है, जो निम्न के लिए उपयोग हुई हो या उपयोग की जा रही हो-
(i) खेती या बागवानी;
(ii) डेयरी फार्मिग, पोल्ट्री फार्मिंग, मत्स्यपालन, डाक्टरी औषधियों की ब्रीडिंग या लाइवस्टॉक और नर्सरी;
(iii) फसलें, घास उगाना या बाग लगाना; और
(iv) कृषकों द्वार पशु चराने के लिए भूमि का उपयोग, किंतु इसमें इसमें केवल जंगल काटे जाने के ले उपयोग होने वाली भूमि शामिल नहीं होती;
(एफ) “समुचित सरकार” से अभिप्राय है -
(i) संघ के लिए भूमि के अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार;
(ii) किसी परियोजना के मामले में, जो केंद्र सरकार या राज्य सरकार के आदेश/दिशानिर्देश पर किसी केंद्रीय सरकारी एजेंसी/केंद्र सरकार उपक्रम अथवा किसी अन्य एजेंसी द्वारा शुरु की जाती है और
(iii) अन्य उद्देश्यों के लिए भूमि का अधिग्रहण करने के मामले में, राज्य सरकार।
(जी) ‘गरीबी रेखा से निचले परिवार’: गरीबी रेखा से निचले परिवार उन्हें माना जाएगा जिनके लिए भारत के योजना आयोग द्वारा समय-समय पर परिभाषा निर्धारित की जाती है।
(एच) किसी परियोजना के मामले में, “रिसैटलमेंट और रिहेबिलिटेशन आयुक्त” से अभिप्राय राज्य सरकार द्वारा नियुक्त रिसैटलमेंट और रिहेबिलिटेशन आयुक्त से है, जो उस सरकार में आयुक्त/सचिव के स्तर से निचले पद पर न हो।
(आई) “निर्वासित परिवार” से अभिप्राय किसी टेन्योर होस्डर, किरायेदार, सरकारी पट्टाधारक या उस संपत्ति के स्वामी से है, जो परियोजना के कारण, अपनी भूमि सहित आबादी में स्थित प्लाट या प्रभावित जोन में अन्य किसी संपत्ति के अधिग्रहण के कारण उक्त भूमि या संपत्ति से हटाया गया हो;
(जे) “परिवार” से अभिप्राय परियोजना प्रभावित उस परिवार से है, जिसमें उक्त व्यक्ति अपनी पत्नी या पति, अवयस्क पुत्रों, अविवाहित पुत्रियों, अवयस्क भाईयों या अविवाहित बहनों, पिता, माता और उस पर आश्रित अन्य पारिवारिक सदस्यों के साथ रहता है।
(के) “होल्डिंग” से अभिप्राय उस समस्त भूमि से है, जस पर कोई व्यक्ति स्वामी या किरायेदार अथवा दोनों के रूप में रहता है;
(एल) “मंझोले किसान” से अभिप्राय असिंचित भूमि पर कृषक के रूप में काम करने वाले उस व्यक्ति से है, जो एक हेक्टेयर तक असिंचित भूमि या आधा हेक्टेयर तक सिंचित भूमि धारक हो;
(एम) “गैर-कृषि श्रमिक” से अभिप्राय उस व्यक्ति से है, जो एक कृषि श्रमिक नहीं है, किंतु वह प्रभावित जोन में, उस जोन के प्रभावित जोन घोषित किए जाने की तारीख से लेकर कम से कम तीन वर्ष से वहां रह रहा हो और प्रभावित जोन के भीतर जिसके पास कोई भूमि न हो, किंतु जो उस घोषणा से पहले वहां अपने जीवन-यापन के लिए मानवीय श्रम अथवा ग्रामीण दस्तकार के रूप में रह रहा हो, और जिसे प्रभावित जोन में अपने जीवन-यापन के लिए मानवीय श्रम अथवा ग्रामीण दस्तकार के रूप में काम से वंचित कर दिया गया हो;
(एन) “अधिसूचना” से अभिप्राय उससूचना से है, जो सरकारी गजट में प्रकाशित की जाती है;
(ओ) “धारक” से अभिप्राय अनुसूचित जनजाति समुदाय के उन सदस्यों से है जिनके पास 25 अक्तूबर, 1980 से पहले वन भूमि थी;
(पी) “परियोजना” से अभिप्राय उस परियोजना से है जिसमें मैदानी क्षेत्रों से 500 से अधिक परिवारों या लोगों को और पहाड़ी क्षेत्रों, डीडीपी ब्लॉकों से 250 परिवारों या लोगों को हटाया जाता है, जैसा भारत के संविधान के शेड्यूल V और शेड्यूल VI में भूमि के अधिग्रहण के संबंध में उल्लेख किया गया है।
(क्यू) “परियोजना प्रभावित परिवार” से अभिप्राय उस परिवार व्यक्ति से है, जिसका निवास स्थान या अन्य संपत्तियां या रोजगार का साधन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के कारण प्रभावित होता है और जो प्रभावित जोन में, उस जोन के प्रभावित जोन घोषित किए जाने की तारीख से लेकर कम से कम तीन वर्ष से नियमित रूप से रह रहा हो और वहां कोई व्यापार, कामधंधा या दस्तकारी कर रहा हो प्रभावित जोन घोषित किए जाने से पहले कम से कम तीन वर्षों से निरंतर वह काम कर रहा हो।
(आर) परियोजना के संबंध में “रिसैटलमेंट जोन” से अभिप्राय, समुचित सरकार द्वारा इस नीति के पैरा 5.12 में किसी क्षेत्र को रिसैटलमेंट जोन घोषित किए जाना या रिसैटलमेंट जोन के रूप में परियोजना प्रभावित परिवारों के रिसैटलमेंट और रिहेबिलिटेशन के लिए प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण से है ;
(एस) “अपेक्षित निकाय” का अर्थ होगा कोई कंपनी, कोई कॉरपोरेट निकाय, एक संस्थान, या कोई अन्य संगठन, जिसके लिए समुचित सरकार द्वारा भूमि का अधिग्रहण किया जाना हो और यदि भूमि का अधिग्रहण सरकार के अपने उपयोग के लिए हो या उक्त भूमि को जनता के हित में किसी कॉरपोरेट निकाय, संस्थान या किसी अन्य संगठन या किसी पट्टा या लाइसेंस प्राप्त कंपनी को दी जानी हो या उक्त कंपनी को किसी अन्य माध्यम से भूमि का हस्तांतरण होना हो तो, जैसा भी मामला हो, इसमें समुचित सरकार भी शामिल होगी;
(टी) “छोटे किसान” से अभिप्राय उस कृषक से है जिसके पास दो हेक्टेयर तक असिंचित भूमि हो या एक हेक्टेयर तक सिंचित भूमि हो।
अध्याय - IV
4. रिसैटलमेंट और रिहेबिलिटेशन के लिए एडमिनिस्ट्रेटर और आयुक्त की नियुक्ति और उनकी शक्तियां तथा कार्य
4.1 जहां समुचित सरकार इस बात से संतुष्ट हो कि किसी परियोजना के लिए भूमि के अधिग्रहण, जिसमें मैदानी क्षेत्रों से 500 से अधिक परिवारों या लोगों को और पहाड़ी क्षेत्रों, डीडीपी ब्लॉकों से 250 परिवारों या लोगों को हटाया जाना शामिल है, जैसा भारत के संविधान के शेड्यूल V और शेड्यूल VI में भूमि के अधिग्रहण के संबंध में उल्लेख किया गया है, तो परियोजना के संबंध में परिपत्र जारी करते हुए एक अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी, जो उस परियोजना के संबंध में रिसैटलमेंट और रिहेबिलिटेशन एडमिनिस्ट्रेटर के लिए राज्य सरकार के जिला कलक्टर के रैंक से निचले स्चर का अधिकारी नहीं होगा।
बशर्ते परियोजना के संबंध में समुचित सरकार, केंद्र सरकार हो, तो ऐसीनियुक्ति केंद्र सरकार के परामर्श से की जाएगी।
4.2 रिसैटलमेंट और रिहेबिलिटेशन के लिए एडमिनिस्ट्रेटर की सहायता के लिए समुचित सरकार द्वारा अधिकारी और कर्मचारी नियुक्त किए जाएंगे।
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