तीन फेज़ वाले विद्युत रेल इंजन
भारतीय रेलवे ने 1960 में फ्रांस से 2900 अश्वशक्ति वाले यात्री और मालगाड़ी इंजनों के आयात के साथ 50 सायकल ग्रपु से तकनीक भी हस्तांतरित की। भारतीय रेलवे ने इस तकनीक के साथ 30 वर्षों से अधिक समय तक कार्य किया और इस अवधि के दौरान इसका इष्टतम उपयोग करते हुए 5000 अश्वशक्ति वाले यात्री और मालगाड़ी इंजनों का निर्माण किया। और अपग्रेडेशन संभव नहीं था। ट्रेन लोड में वृद्धि के साथ और यात्री और मालगाड़ी के लिए उच्च गति की आवश्यकता के कारण विद्यमान इंफ्रस्ट्रक्चर के साथ अधिक यातायात की ढुलाई करने में सक्षमता पाने के लिए, यह आवश्यक हो गया कि विद्युत इंजनों की विद्यमान तकनीक को अपग्रेड किया जाए, और इस प्रकार भारतीय रेलवे ने एकदम आधुनिक तीन फेज वाले उच्च अश्वशक्ति के विद्युत इंजनों को लेने का निर्णय लिया।
(ख) अधिग्रहण
भारतीय रेलवे ने मै. बॉम्बार्डियर ट्रांसपोर्टेशन, स्विटज़रलैंड (जिसे पहले ओबीबी कहा जाता था) से उच्च अश्वशक्ति वाले अधुनातन माइक्रोप्रोसेसर नियंत्रित तीन फेज़ ड्राइव वाले 30 (10 पैसेंजर और 20 मालगाड़ी के) विद्युत इंजन प्राप्त करने के साथ-साथ उन इंजनों को अपने देश में चित्तरंजन रेल इंजन कारखाने में निर्मित करने के लिए तकनीक भी हस्तांरित की है। यह करार जुलाई, 1993 में हुआ था। ये इंजन अक्तू.-95 से अक्तू.-98 के बीच प्राप्त हुए हैं और उन्हें सेवा में लगाया जा चुका है।
(ग) भारतीय रेलवे द्वारा देश में निर्माण कार्य:
मै. बॉम्बार्डियर ट्रांसपोर्टेशन, स्विटज़रलैंड से तकनीक के हस्तांरण के करार के माध्यम से 5 प्रमुख विद्युत उपस्कर अर्थात् पावर कन्वर्टर, आग्जिलरी कन्वर्टर, कंट्रोल इलेक्ट्रानिक्स, ट्रांसफार्मर और कर्षण मोटर की तकनीक भारतीय उद्योग को दी गई है और तीन अन्य मदें यथा बोगी, शेल और कर्षण मोटर की तकनीक चित्तरंजन रेल इंजन कारखाने को दी गई है, जिससे देश में ही पहला तीन फेज़ वाला विद्युत इंजन 14 नवंबर, 1998 को निर्मित हुआ। इन इंजनों की लागत मूल आयात लागत 22 करोड़ रु. (सीमा शुल्क सहित) से देळ में किए जा रहे अभिनव प्रयासों से धीरे-धीरे कम हो रही है। चित्तरंजन रेल इंजन कारखाने ने प्रमुख मदों पर देशी तकनीक से अब तक 40 रेल इंजनों का निर्माण किया है और प्रति इंजन लागत में 12.5 करोड़ रु. कमी की है।
(घ) प्रमुख आंकड़े और सेक्शन, जिन पर ये इंजन काम कर रहे हैं:
यात्री गाड़ी इंजन (WAP5)
बेस शेड
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गाजियाबाद (उत्तर रेलवे)
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पावर
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4000 कि.वा.
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गति क्षमता
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160 कि.मी.प्र.घं.
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परिचालन:
ये इंजन राजधानी और शताब्दी सहित निम्नलिखित प्रतिष्ठित गाड़ियों में लगाए जाते हैं
2301/2302
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नई दिल्ली-हवड़ा राजधानी एक्स.
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2421/2422
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नई दिल्ली-भुवनेश्वर राजधानी एक्स.
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2951/2952
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नई दिल्ली-मुंबई राजधानी एक्स.
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2433/2434
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ह.निजामुद्दीन-चेन्नई राजधानी एक्स.
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2417/2418
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नई दिल्ली-इलाहाबाद प्रयागराज एक्स.
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2003/2004
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नई दिल्ली-लखनऊ शताब्दी एक्स.
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2001/2002
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नई दिल्ली-भोपाल शताब्दी एक्स.
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2011/2012
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नई दिल्ली-चंडीगढ़ शताब्दी एक्स.
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मालगाड़ी इंजन (WAG9)
बेस शेड
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गोमोह (पूर्व मध्य रेलवे)
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पावर
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4500 KW, 6000 HP
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गति क्षमता
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100 कि.मी.प्र.घं.
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परिचालन
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4700 टन वाली मालगाड़ियां पूर्व के कोयला क्षेत्रों से उत्तर भारत के विभिन्न गंतव्यों तक चलती हैं।
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(ड. )विशेषताएं
- रिजेनरेटिव ब्रेकिंग से क्षमता बढ़ी है और ऊर्जा का संरक्षण हुआ है।
- इलेक्ट्रानिक कंट्रोल और 3 फेज वाली एसी कर्षण मोटरों के उपयोग से कम देखभाल करनी पड़ती है।
- यूनिटी पी.एफ. (वर्तमान पी.एफ.0.85 है) के कारण बिजली का मांग में कमी हुई है।
- हायर एडहेशन से भारी गाड़ियां खींचने की क्षमता बढ़ी है।
- लो अनस्प्रंग मासेस के कारण पटरियों का लो-वियर और रेलपथ ज्यामितीय ठीक हुआ है।
- Rविशेष हारमोनिक फिल्टर सर्किट के कारण हारमोनिक्स में कमी आई है।
- मशीन रूम के भीत तेल के धुएं और तेल के बिखराव के बिना कम्प्रेशरों का अंडरस्लंग अरेंजमेंट।
- अनुरक्षण की सुविधा के लिए माइक्रो प्रोसेसर आधारित फाल्ट डायगनॉस सिस्टम।
- आपरेशन और ट्रबल शूटिंग दोनों के लिए क्रू अनुकूल।
- वैगन/कोचों पर ब्रेक ब्लॉक की कम खपत।
- पहियों की बढ़ी लाइफ के कारण इंजन के व्हील डिस्क की खपत में कमी।
- व्यस्त मार्गों पर उच्च चाल और बैलेंसिंग स्पीड के कारण अतिरिक्त लाइन क्षमता की उपलब्धता।
- बेहतर ट्रांजिट टाइम और हायर प्रोडक्टिविटी के कारण प्रतिदिन इंजन कि.मी. में सुधार।
- कम होती टर्न अराउंड अवधि के कारण चल स्टॉक की मांग में कमी।
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